जाने क्यूँ इन राहों पर
ये भाव बदलते रहते हैं
जाने क्यूँ इन राहों पर
इंसान बदलते रहते हैं
देख दिखाते प्यार सभी को
खुद में उलझे रहते हैं
खुद से अपरिचित रहने वाले
एकदूजे की पहचान कराते
गिरगिट की भाँती बदलने वाले
ये कैसे जीव जो जन कहलाते