बिखरी सी ठोर
ज़िन्दगी… क्या है ? ये सवाल, हर लम्हा आता है। और मेरे मन को कचोट जाता है। ज़िन्दगी… एक पैगाम है ? या कर्मों…
महरम सी ज़िन्दगी
कभी-कभी ज़िन्दगी, कितनी महरम सी लगती है। बेटी सी_ खूबसूरत, बेटे सी_ अज़ीज़ सी लगती है। जो पहला सा इश्क़ होता है, जो मुक्कम्मल…