झरोखे से झांकती आँखें………. Blog

झरोखे से झांकती आँखें……….

झरोखे से झांकती आँखें जैसे कुछ कहना चाहती हैं जैसे जीवन के हरपल की मुझे व्याख्या सुनाना चाहती हैं झरोखे से झांकती आँखें हैं जब आशा लिए मुझे घूरती हैं तब शायद मेरे अंतर्मन को वो आँखें झंझोर देती हैं आज गयी मैं…

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एक क्षण

एक   क्षण  भी तब  रुक जाती मैं तो कोसती मैं फिर दुनिया को एक क्षण भी तब हंस जाती मैं तो  रोकती कैसे मैं खुद को वो     सुंदर   था…

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सच्चाई का धरातल

सच्चाई के धरातल से मैंने आसमान तो देखा है लेकिन ऊंची उड़ान भरती कल्पनाएँ नहीं देखीं अक्सर उम्मीदों को टूटते हुए तो देखा है लेकिन ख्वाबों को कभी मंजिल में बदलते नहीं देखा खिलते फूलों को अक्सर…

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ज़िंदादिली Blog

ज़िंदादिली

इस कहानी में अगर मैंने उसका ज़िक्र नहीं किया तो कहानी में जैसे ज़िंदादिली ही नहीं डाली। कुछ किरदार ओस की बूंदों के जैसे…

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बस यूँ ही! Blog

बस यूँ ही!

ज़िन्दगी और सफलता के पीछे दौड़ते हुए हम अक्सर अपने को और अपनों को पीछे छोड़ देते हैं। हम  क्या? ज़्यादातर लोग ऐसा ही…

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