एक क्षण भी तब रुक जाती मैं
तो कोसती मैं फिर दुनिया को
एक क्षण भी तब हंस जाती मैं
तो रोकती कैसे मैं खुद को
वो सुंदर था एक चितवन था
जिसमे तितली के पंखों की गूंज सी सुनती जाती मैं
वो सुंदर था वो जीवन था
जिसमे फूलों की खुशबू का लुत्फ़ उठाती जाती मैं
एक दिन था जब उस क्षण को
महसूस किया मैंने मन में
वो क्षण था बस जिसको मैंने
रोकना चाहा जीवन में
एक दिन एक सन्यासी ने
पथ-मोक्ष मुझे बताया था
उस दिन मैंने कुछ बात कह
टाल उसे भगाया था
ईश्वर मेरे मैं ना चाहूँ जीवन मृत्यु और ये मोक्ष
मैं तो बस आकांक्षित हूँ
तुम चाहो तो मुझको देना
वो जीवनसार जो मेरा था
तुम चाहो तो वो क्षण देना
सदा जो मन में था मेरा
तुम चाहो तो ले लो सब कुछ
बस वो क्षण मुझको लौटा दो तुम
बस उस क्षण की प्यासी को
एक वारि बूँद पिलादो तुम
एक क्षण था वो जो जीवन था
जो सुंदर था जो चितवन था
इस आस में जिए मैं जाती हूँ
वो क्षण जो सुंदर चितवन था
जो सदा रहा मेरे मन में
शायद हो कभी मेरे जीवन में